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गर्लफ्रेंड के हाथ से तीखा खाना भी मीठा क्यों लगता है ? This Post Design By The Revolution Deshbhakt Hindustani

गर्लफ्रेंड के हाथ से तीखा खाना भी मीठा क्यों लगता है ?

हम सब की लाइफ में भोजन, एक सेंटर पॉइंट है। हर कोई कमाता भी खाने के लिए ही है, बाकी जरूरतें इसके बाद आती हैं। इस बात में कितना सच है या नहीं, लेकिन कहते हैं दिल तक पहुंचने का रास्ता भी, पेट से होकर जाता है। इतना ही नहीं, एक भिखारी भी 2 जून की रोटी मांगता है और फूड लवर्स की तो बात ही कुछ और है। मां के हाथ से बना खाना, किसे पसंद नहीं, लेकिन कई बार हम, दूसरों के बनाए भोजन में कमियां निकालते हैं। अब सवाल यह है है कि भोजन जीभ के स्वाद के लिए खाना चाहिए, या फिर सिर्फ जिंदगी जीने के लिए। हम खाना क्यों खाते हैं, कुछ लोग पेट भरने के लिए। कुछ लोग, टेंशन में ज्यादा खाते हैं, और कुछ एन्जॉय करने के लिए। कुछ अपने खाने की आदत की वजह से " गैस्ट्रोनॉमी " और "पेटू" का खिताब पा चुके होंगे। लेकिन कई बार कुछ लोग, खाने में कमियां निकालते हैं। हां एक स्पेशल कैटेगरी के लोग भी होते हैं, जो अपने पार्टनर की बनाई हुई जली हुई रोटियां भी खुशी से खा लेते हैं। क्योंकि यहां पर कंप्लेंट करने का मतलब, खुद की शामत को इनविटेशन देने जैसा है।

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हर किसी की खाने की आदतें अलग -अलग होती हैं, किसी को तीखा पसंद है, तो किसी को फीका, कोई वेजिटेरियन है, तो कोई नॉन वेजिटेरियन। जाहिर सी बात है एक मासाहारी व्यक्ति को, शाकाहारी खाना पसंद नहीं आएगा, ठीक वैसे ही मांस को देखने भर से ही, एक शाकाहारी व्यक्ति को nausea फील होने लग जाए। हममें से ज्यादातर लोगों के लिए, खाने में कमियां निकालना बहुत आसान है, लेकिन कुछ के लिए उतना ही मुश्किल, क्योंकि वो दूसरों को आहत करने की कल्पना करने से भी डरते हैं। शायद आप में से भी कई लोग ऐसे होंगे, जिन्होंने अपनी पत्नी, partner या मां की खुशी के लिए, कभी बिना नमक के ही खाना खा लिया होगा। वास्तव में खाने से हमारी, फीलिंग्स जुड़ी हुई हैं। भगवान के प्रसाद में श्रद्धा, मां के बनाए खाने में ममता और पार्टनर के बनाए खाने में प्रेम, शायद आपने भी फील किया होगा। फिर बावर्ची किस इमोशन के साथ खाना पकाते हैं, मजबूरी में, बिलकुल नहीं, आपके चेहरे पर खुशी और सेटिस्फेक्शन देखने के लिए। बेशक, ऐसा समय हो सकता है, जब गलती ढूंढना उचित होता है। जैसे अगर कोई फिल्म सही नहीं है, तो ऐसा कहने में कुछ भी गलत नहीं है। उदाहरण के लिए, बच्चे की पेंटिंग में फूल, पेड़ से ज्यादा बड़ा हो, तो क्या आप इसमें नुक्स निकालेंगे, या फिर बच्चे की खुशी के लिए उसकी प्रशंसा करेंगे। कमियां बताने से पहले, हमें यह समझना चाहिए कि सामने वाले पर उसका क्या असर होगा। जब हम दूसरों के काम में हमेशा दोष ढूंढते हैं, तो वो इंसान, धीरे-धीरे हम पर भरोसा करना और हमसे कुछ भी शेयर करना छोड़ देता है। इस संसार में कौन पूर्ण है! लोगों की खामियों की जगह, पॉजिटिव चीजें देखनी चाहिए।

वास्तव में भोजन का स्वाद, हमारी खाने की आदतों, परिस्थितियों और जरूरत के हिसाब से अच्छा, बुरा यानी टेस्टी या बेस्वाद लगता है। भोजन प्रशंसा डिजर्व करता है। शादी और दूसरे समारोह में, तरह-तरह के व्यंजन बनते हैं। कुछ उसकी बुराई करते हैं, तो कुछ अच्छाई। उस वक्त यह देखा जाता है कि खाना किस होटल से आया है और खासकर उसके रेट के अनुसार, स्वादिष्ट या बेस्वाद लगता है। उदाहरण के लिए, एक फाइव स्टार होटल में, भले ही खाने की क्वालिटी ज्यादा अच्छी न हो, फिर भी हमें पसंद आता है। यानी भोजन पर भी, स्टेटस हावी हो जाता है। हां यह एक अलग बात है कि रोज एक तरह का खाना, हमें बोर कर ही देता है। और इसलिए कभी-कभी बाहर से भोजन करना जरूरी हो जाता है, लेकिन, खाने का अनादर नहीं करना चाहिए। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, साल 2018 में तकरीबन 820 मिलियन लोगों के पास खाने को पर्याप्त भोजन नहीं था। इसलिए, जीभ का स्वाद बरकरार रखना भी जरूरी है, लेकिन खाने का सम्मान करना न भूलें। भोजन, बनाने वाली की कुकिंग स्किल पर डिपेंड करता है। अगर आपके घर में किसी ने आपके लिए खाना बनाया है, तो उनकी मेहनत की कदर करें, क्योंकि आज के इंटरनेट के जमाने में, सोशल मीडिया पर अपने एंटरटेनमेंट की जगह, उन्होंने वो टाइम आप पर इन्वेस्ट किया है। चाहे वो फिर मां, पत्नी या आपके किसी अपने ने बनाया हो या फिर किसी दावत का खाना हो। ध्यान रहे, कहीं आपकी जीभ के स्वाद के चक्कर में किसी के दिल का मिजाज न बिगड़ जाए।